बिलआम की उद्भूत नबूवतें
1 तब बिलआम ने बालाक से विनती की, “मेरे लिए यहां सात वेदियां बनवाइए और वहां मेरे लिए सात बछड़े एवं सात मेढ़े तैयार रखिए.” 2 बालाक ने यही किया. फिर बालाक एवं बिलआम ने मिलकर हर एक वेदी पर एक-एक बछड़ा एवं मेढ़ा भेंट किया.
3 फिर बिलआम ने बालाक से विनती की, “आप अपनी होम बलि के निकट ठहरे रहिए, मैं याहवेह के सामने जाऊंगा हो सकता है कि याहवेह मुझसे भेंट करने आएं. वह मुझ पर, जो कुछ स्पष्ट करेंगे, मैं आप पर प्रकट कर दूंगा.” यह कहकर बिलआम एक सुनसान पहाड़ी पर चला गया.
4 यहां बिलआम ने परमेश्वर से बातें करनी शुरू की, “मैंने सात वेदियां बनवाई हैं और मैंने हर एक पर एक-एक बछड़ा तथा मेढ़ा भेंट किया है.”
5 याहवेह ने बिलआम को वह वचन सौंप दिया और उसे आज्ञा दी, “बालाक के पास जाओ तथा उससे यही कह देना.”
6 फिर बिलआम बालाक के पास लौट गया. बालाक अपनी होम बलि के पास खड़ा हुआ था, उसके साथ मोआब के सारे प्रधान भी थे. 7 बिलआम ने अपना वचन शुरू किया,
11 यह सुन बालाक ने बिलआम से कहा, “आपने मेरे साथ यह क्या कर डाला है? मैंने तो आपको यहां इसलिये आमंत्रित किया था, कि आप मेरे शत्रुओं को शाप दें किंतु आपने तो वस्तुतः उन्हें आशीर्वाद दे दिया है!”
12 बिलआम ने उसे उत्तर दिया, “क्या ज़रूरी नहीं कि मैं वही कहने के लिए सावधान रहूं, जो याहवेह ने मुझे बोलने के लिए सौंपा है?”
13 फिर बालाक ने बिलआम से आग्रह किया, “कृपा कर आप इस दूसरी जगह पर आ जाइए, जहां से ये लोग आपको दिखाई दे सकें, हालांकि यहां से आप उनका पास वाला छोर ही देख सकेंगे, पूरे समूह को नहीं. आप उन्हें वहीं से शाप दे दीजिए.” 14 तब बालाक बिलआम को ज़ोफिम के खेत में ले गया, जो पिसगाह की चोटी पर था. वहां उसने सात वेदियां बनवाई और हर एक पर एक-एक बछड़ा तथा एक-एक मेढ़ा भेंट किया.
15 फिर वहां बिलआम ने बालाक से कहा, “आप यहीं होम बलि के निकट ठहरिए और मैं वहां आगे जाकर याहवेह से भेंट करूंगा.”
16 वहां याहवेह ने बिलआम से भेंट की तथा उसके मुख में अपने शब्द भर दिए और याहवेह ने बिलआम को यह आज्ञा दी, “बालाक के पास लौटकर तुम यह कहोगे.”
17 बिलआम बालाक के पास लौट आया, जो इस समय होम बलि के निकट खड़ा हुआ था तथा मोआब के प्रधान भी उसके पास खड़े हुए थे. बालाक ने उससे पूछा, “क्या कहा है याहवेह ने तुमसे?”
18 तब बिलआम ने उसे सौंपा गया वचन दोहरा दिया:
25 यह सुन बालाक ने बिलआम से कहा, “ऐसा करो, अब न तो शाप दो और न ही आशीर्वाद!”
26 किंतु बिलआम ने बालाक को उत्तर दिया, “क्या मैंने आपको बताया न था, जो कुछ याहवेह मुझसे कहेंगे, वही करना मेरे लिए ज़रूरी है?”
27 तब बालाक ने बिलआम से विनती की, “कृपा कर आइए मैं आपको एक दूसरी जगह पर ले चलूंगा. हो सकता है यह परमेश्वर को ठीक लगे और आप मेरी ओर से उन्हें शाप दे दें.” 28 फिर बालाक बिलआम को पेओर की चोटी पर ले गया, जहां से उजाड़ क्षेत्र दिखाई देता है.
29 बिलआम ने बालाक को उत्तर दिया, “अब आप यहां मेरे लिए सात वेदियां बना दीजिए तथा मेरे लिए यहां सात बछड़े एवं सात मेढ़े तैयार कीजिए.” 30 बालाक ने ठीक वैसा ही किया, जैसा बिलआम ने विनती की थी. उसने हर एक वेदी पर एक-एक मेढ़ा भेंट कर दिया.